तब जा के हुआ अपना ये चेहरा गँवारा हमें,
 दबी आवाज़ में जब उस नज़र ने पुकारा हमें।
दिल ओ दिमाग को नहीं समझती कोई ज़ुबाँ,
दीवाना कर गया उनका वो पहला इशारा हमें।
फ़लक छोड़के छज्जे पे आ गिरा था उस रात,
 चाँद से भी ख़ूबसूरत लगा वो सितारा हमें।
क्या खबर थी पत्थरों में दफ़्न होती हैं चिंगारियाँ,
 पल भर में ख़ाक कर गया वो शरारा हमें।
इस दफ़ा पूछेंगे  उस से पता उनका
 वो शख्स मिला कभी जो दुबारा हमें!!

 
   
 
 
